Salary Slip देखिए और रिटर्न भरते वक्त खुद पता कर लीजिए कितना कटेगा Tax, नहीं पड़ेगी CA की जरूरत, समझें कैलकुलेशन
Income tax return Tax calculation: बेसिक सैलरी के अलावा, कई दूसरे कंपोनेंट भी होते हैं, जिनमें कुछ पूरी तरह टैक्सेबल होते हैं, कुछ पर टैक्स छूट मिलती है, तो कुछ टैक्स के दायरे से बाहर होते हैं.
नौकरीपेशा के लिए इनकम टैक्स रिटर्न (Income Tax Return) फाइल करने का विंडो 31 जुलाई तक खुला है. FY 2023-24 (AY 2024-25) के लिए ITR फाइल करना है. लेकिन, आपको समझ नहीं आ रहा कि आपका टैक्स कितना बना है या रिफंड होने के चांसेज हैं. ऐसे में सैलरीड क्लास को टैक्स कैलकुलेशन पर कन्फ्यूजन होते हैं. बेसिक सैलरी के अलावा, कई दूसरे कंपोनेंट भी होते हैं, जिनमें कुछ पूरी तरह टैक्सेबल होते हैं, कुछ पर टैक्स छूट मिलती है, तो कुछ टैक्स के दायरे से बाहर होते हैं. अगर आप भी कन्फ्यूज हैं तो अपनी सैलरी स्लिप देखिए और पता करें कि सैलरी के किस हिस्से पर टैक्स लगा है और किस पर नहीं. पूरी कैलकुलेशन समझ आ जाएगी. इसके बाद शायद CA की भी जरूरत न पड़े.
सैलरी पर टैक्स का गणित
IT Act, 1961 के तहत पेरोल प्रोसेसिंग टैक्सेबल बेनेफिट्स को दो हिस्सों- रिकरिंग और ऐड हॉक में बांटा जा सकता है. इनमें allowance और perquisites आते हैं. इनमें कर्मचारियों को दिए जाने वाले खर्चे और सुविधाएं आती हैं. इनमें से कुछ पर टैक्स लगता है, कुछ पर कम या बिल्कुल टैक्स नहीं लगता. आइए जानते हैं.
1) सैलरी के कौन से हिस्से पर लगता है टैक्स
1. बेसिक सैलरी
बेसिक सैलरी आपके सैलरी का बेस या पहला लेवल होता है, जिसमें किसी तरह का कोई डिडक्शन नहीं होता है. इसमें किसी तरह का बोनस या बेनेफिट ऐड नहीं होता, ये पूरी तरह से आपका मेहनताना होता है. इसपर टैक्स लगता है, और ये कभी आपके CTC (cost to the company) के 40% से ज्यादा नहीं हो सकता.
2. मेडिकल खर्चे
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कंपनी की ओर से दिए जाने वाले मेडिकल अलाउंस पूरी तरह से टैक्सेबल होते हैं.
3. कन्वेयेंस अलाउंस
कन्वेयेंस या फिर ट्रांसपोर्ट अलाउंस कंपनी आपको कम्यूट के खर्चे के लिए देती है. प्रति महीना 1600 रुपये और दिव्यांगजनों के केस में 3200 रुपये से ऊपर के अलाउंस पर टैक्स लगता है.
4. महंगाई भत्ता
Dearness Allowance या फिर महंगाई भत्ता कंपनी महंगाई के बीच में अपने इंप्लॉई के खर्चों को मेंटेन रखने में मदद के लिए देती है. ये भत्ता टैक्सेबल होता है और इंप्लॉई को आईटीआर फाइल करते हुए डिस्क्लोज़ करना होता है.
5. कुछ और अलाउंस
City Compensatory Allowance, City Compensatory Allowance, Overtime Allowance, Meal Allowance जैसे कई और अलाउंस हैं, जिनपर आपको पूरी तरह टैक्स देना होता है.
2) सैलरी के कौन से हिस्से पर लगता है थोड़ा टैक्स
सैलरी के कुछ हिस्से हैं, जिनपर आपको आंशिक रूप से टैक्स देना होता है.
1. हाउस रेंट अलाउंस (HRA)
अगर आप किराये के मकान में रहते हैं तो आपको HRA पर टैक्स छूट मिलती है. लेकिन अगर आप अपने मकान पर रहते हैं तो कंपनी की ओर से मिलने वाला अलाउंस पूरी तरह से टैक्सेबल हो जाता है.
2. लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA)
कर्मचारी की छुट्टियों में ट्रैवल पर कंपनी अलाउंस देती है, जिसपर आप टैक्स छूट क्लेम कर सकते हैं. आप यात्रा के खर्चे पर छूट ले सकते हैं, होटल में रुकने, खाने-पीने का खर्च इसमें कवर नहीं होता. घरेलू यात्रा पर ही LTA exemption लिया जा सकता है. साथ ही आप 4 साल में दो बार ही LTA पर छूट ले सकते हैं.
3. बच्चों के एजुकेशन और हॉस्टल अलाउंस
चिल्ड्रेन एजुकेशन अलाउंस कंपनी कर्मचारी के बच्चों की पढ़ाई के लिए देती है. सालाना 1200 रुपये की छूट मिलती है. इसे अधिकतम दो बच्चों के लिए लिया जा सकता है, यानी कि आप सालाना 2400 रुपये की छूट ले सकते हैं. इसके अलावा, बच्चों के हॉस्टल के खर्चों पर भी अलाउंस मिलता है. एक बच्चे पर प्रति महीना 300 रुपये और दो बच्चों पर सालाना 7,200 रुपये क्लेम किया जा सकता है. इसके ऊपर का अलाउंस टैक्सेबल होता है.
3) सैलरी का कौन सा हिस्सा पूरी तरह टैक्स फ्री?
1. मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम
कंपनी की ओर से इंप्लॉई और उसके परिवार को दिए जाने वाले मेडिकल इंश्योरेंस पर कोई टैक्स नहीं लगता.
2. फोन और इंटरनेट बिल
कंपनी की ओर से आपको फोन और इंटरनेट बिल पर अलाउंस दिया जाता होगा. ये पूरी तरह टैक्स फ्री होता है. आपको इसके लिए बिल्स दिखाने होते हैं.
3. खाने-पढ़ने और गैजेट्स पर
कंपनी की ओर से मील कूपन्स मिलते हैं, किताबों, न्यूजपेपर, जर्नल वगैरह का सब्सक्रिप्शन मिलता है तो ये सबकुछ टैक्स एग्जेम्प्ट होता है. कंपनी की ओर से मिलने वाला लैपटॉप, टैबलेट, कंप्यूटर वगैरह भी टैक्स फ्री फैसिलिटी हैं.
कैसे टैक्स कैलकुलेट करें?
1. सबसे पहले कोई भी ऑनलाइन Income Tax Calculator खोलें. जिस FY में टैक्स कैलकुलेट करना है, वो सेलेक्ट करें.
2. अपने हिसाब से अपनी उम्र चुनें.
3. 'गो टू नेक्स्ट स्टेप' पर क्लिक करें.
4. अपनी टैक्सेबल सैलरी यानी HRA, LTA जैसे एग्जेम्पशन को हटाकर सैलरी डालें (इससे आप Old Tax Regime में टैक्स लायबिलिटी चेक कर सकते हैं)
या फि HRA, LTA, प्रोफेशनल टैक्स जैसी छूटों का लाभ उठाए बिना केवल अपनी सैलरी दर्ज करें. (अगर आप नए टैक्स स्लैब के तहत अपनी टैक्स लायबिलिटी जानना चाहते हैं)
5. टैक्सेबल सैलरी के साथ, आपको दूसरी डीटेल्स जैसे कि ब्याज आय, किराये की आय, किराए के लिए होम लोन पर भुगतान किया गया ब्याज, और खुद के कब्जे वाली संपत्ति के लिए लोन पर भरा गया ब्याज डालना होगा.
6. डिजिटल असेट्स से आय के लिए, नेट इनकम दर्ज करें (बिक्री प्रतिफल से अधिग्रहण की लागत कम), ऐसी आय पर 30% टैक्स और साथ ही सरचार्ज और सेस लगता है.
7. फिर से 'गो टू नेक्स्ट स्टेप' पर क्लिक करें.
8. अगर आप पुराने टैक्स स्लैब के तहत अपना टैक्स कैलकुलेट करना चाहते हैं, तो आपको सेक्शन 80C, 80D, 80G, 80E और 80TTA के तहत अपने कर बचत निवेश को दर्ज करना होगा.
9. अपनी टैक्स लायबिलिटी जानने के लिए 'कैलकुलेट' पर क्लिक करें. आपको अपना टैक्स कैलकुलेशन (tax calculator) मिल जाएगा.
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09:29 AM IST